अगर ये दिव्यांग नहीं है तो इनके साथ ऐसे मेडिकल जांच बोर्ड के सदस्यों को भी अयोग्य करार देते हुए 420 का प्रकरण दर्ज होना चाहिए,,,
आपका क्या विचार है ???
क्या इन्हें ऐसे ही छोड़ देना चाहिए ??
क्या इस तरह के मामले में राजनीतिकरण एवं संरक्षण से बचने और ऐसी पुनरावृत्ति रोकने हेतु माननीय न्यायपालिका को सीधा हस्तक्षेप करना चाहिए ???